कर्तव्य और आराम के बीच: जीवन की सच्ची राह
साधक,
जब मन कर्तव्य और आराम के बीच उलझ जाता है, तो यह स्वाभाविक है। हर व्यक्ति चाहता है कि जीवन में सुख हो, परंतु क्या वह सुख स्थायी होगा? कृष्ण हमें बताते हैं कि सच्चा सुख तभी मिलता है जब हम अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करते हैं, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। चलिए इस उलझन को भगवद गीता के प्रकाश में समझते हैं।