चलो अनिर्णय के कुहरे से बाहर निकलें
साधक, जब मन अनिर्णय की जाल में फंसा होता है, तब वह एक तरह का अंधकार होता है जो हमें सही दिशा देखने से रोकता है। यह स्वाभाविक है कि जीवन में कई बार हम उलझन में पड़ जाते हैं, निर्णय लेना कठिन लगता है। लेकिन याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को युद्धभूमि में ऐसे ही अनिर्णय से निकाला था।