निराशा के बाद भी भक्ति की लौ बुझती नहीं — तुम अकेले नहीं हो
साधक,
जब हम अपने हृदय की गहराइयों से भक्ति करते हैं, तब भी कभी-कभी निराशा की छाया हमारे मन पर छा जाती है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि भक्ति का मार्ग आसान नहीं होता। पर याद रखो, निराशा के बाद भी विश्वास की किरण ज़रूर उगती है। तुम अकेले नहीं हो, मैं यहाँ तुम्हारे साथ हूँ।