खामोश शामों की उदासी को गले लगाना — तुम अकेले नहीं हो
जब शाम की चुप्पी दिल को भारी कर देती है, और खामोशी में उदासी के साये घेर लेते हैं, तब यह जानना जरूरी है कि यह भावनाएँ तुम्हारे भीतर एक गहरा संवाद कर रही हैं। तुम अकेले नहीं हो, हर आत्मा कभी न कभी इस अंधकार में खुद को खोजती है। चलो, गीता के दिव्य प्रकाश से इस उदासी को समझते और उससे पार पाते हैं।