अंदर की सच्ची आवाज़ से मिलने का सफर
प्रिय शिष्य, जब मन की हलचलें, उलझनें और बाहरी आवेग हमारे भीतर की सच्ची आवाज़ को दबा देती हैं, तब हम खोए हुए महसूस करते हैं। पर याद रखो, तुम्हारे भीतर एक शांत और सच्चा स्वर है, जो हमेशा तुम्हारा मार्गदर्शन करता है। बस उसे सुनना सीखना होता है। तुम अकेले नहीं हो, यह संघर्ष हर मानव के जीवन का हिस्सा है।
🕉️ शाश्वत श्लोक
श्लोक:
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥
— भगवद्गीता 6.5