अंदर की ओर मुड़ने का सही समय — जीवन का सबसे मधुर क्षण
प्रिय आत्मा, जब जीवन के सफर में उम्र के पन्ने धीरे-धीरे पलटते हैं, तब मन अक्सर एक गहन प्रश्न से घिर जाता है — “क्या अब मैं अपने भीतर की ओर मुड़ूं? क्या अभी सही समय है?” यह प्रश्न बहुत ही स्वाभाविक है, क्योंकि उम्र के साथ अनुभवों का भंडार बढ़ता है, और मृत्यु की छाया भी कभी-कभी नजदीक महसूस होती है।
यह जानना जरूरी है कि गीता हमें न केवल समय बताती है, बल्कि यह भी समझाती है कि अंदर की ओर मुड़ना कोई कालबद्ध कार्य नहीं, बल्कि एक जागरूकता का फल है। आइए, श्रीमद्भगवद्गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का उत्तर खोजें।