समर्पण की राह: नियंत्रण का भय छोड़, विश्वास की ओर बढ़ना
साधक,
तुम्हारे मन में जो यह सवाल है — "कैसे पूरी तरह समर्पण करूँ बिना नियंत्रण खोने के डर के?" — यह मानव मन की गहरी उलझन है। समर्पण का अर्थ यह नहीं कि तुम अपनी चेतना या विवेक खो दो, बल्कि यह एक ऐसा अनुभव है जिसमें तुम अपने भीतर की शक्ति और परमात्मा की शक्ति के बीच सुमधुर तालमेल बिठाते हो। चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो; हर भक्त इसी द्वंद्व से गुजरता है। आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस प्रश्न का उत्तर खोजें।