remembrance

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प्रेम से कृष्ण को याद करना — क्या यही काफी है?
साधक,
तुम्हारे मन में यह सवाल बहुत स्वाभाविक है। जब हम अपने प्रभु के प्रति प्रेम की भावना रखते हैं, तो हम अक्सर सोचते हैं कि क्या केवल प्रेम से ही कृष्ण की प्राप्ति संभव है? क्या हमें और कुछ करना चाहिए? यह उलझन तुम्हारे भक्ति के सफर की एक महत्वपूर्ण सीढ़ी है। आइए, गीता के अमृत श्लोकों से इस प्रश्न का उत्तर खोजते हैं।

🌟 दिव्य स्मरण: आत्मा की सबसे मधुर आसक्ति
साधक, जब मन उलझनों और अनिश्चितताओं में डूबा हो, तब दिव्य स्मरण की शक्ति वह प्रकाश है जो अंधकार को चीरकर आत्मा को स्थिर करता है। तुम अकेले नहीं हो, क्योंकि हर एक भक्त के दिल में वही कृष्ण की छवि बसाने की लालसा होती है। चलो, गीता के पावन शब्दों से इस दिव्य स्मरण की महिमा को समझें।