लक्ष्य की ओर अनुशासन: कर्मयोग का सार
साधक, जब हम अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो सबसे बड़ा प्रश्न होता है — क्या मैं अपने कर्मों में अनुशासित रह पाऊंगा? क्या मेरी मेहनत और समर्पण सही दिशा में लगेगा? यह उलझन स्वाभाविक है, क्योंकि लक्ष्य और कर्म के बीच की डोर को मजबूत बनाना ही सफलता की कुंजी है। तुम अकेले नहीं हो इस सफर में। भगवद गीता में इस विषय पर गहरा और सजीव मार्गदर्शन है, जो तुम्हारे मन के संदेहों को दूर करेगा।