समर्पण का सच्चा अर्थ — अपनी आत्मा को कृष्ण के चरणों में समर्पित करना
प्रिय साधक,
तुम्हारा यह प्रश्न बहुत ही गहरा और महत्वपूर्ण है। समर्पण केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक जीवन की अनुभूति है। जब हम भगवान के प्रति समर्पित होते हैं, तो हम अपने अहंकार, संदेह और भय को त्यागकर एक दिव्य शक्ति के भरोसे खुद को सौंप देते हैं। यह एक ऐसा अनुभव है जो हमारे अस्तित्व को पूरी तरह बदल देता है।