अकेलेपन में भी तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब हम घर से दूर होते हैं, तब अकेलापन और भावनात्मक दूरी हमें घेर लेती है। यह स्वाभाविक है कि मन में कई सवाल उठते हैं—क्या मैं सही रास्ते पर हूँ? क्या मैं अपनी जड़ों से जुड़ा रह पाऊंगा? लेकिन याद रखो, यह समय तुम्हारे भीतर की शक्ति को पहचानने और उसे जगाने का अवसर है। तुम अकेले नहीं, तुम्हारे साथ तुम्हारा आत्मा और ईश्वरीय प्रेम है।