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मंदिरों के बाहर भी कृष्ण के सान्निध्य में
साधक, तुम्हारा यह प्रश्न बहुत स्वाभाविक है। आज के भागदौड़ भरे जीवन में हर कोई मंदिर जाकर भक्ति नहीं कर पाता, पर क्या इसका मतलब है कि हम कृष्ण से दूर हो गए? बिल्कुल नहीं। कृष्ण का सान्निध्य मंदिरों की दीवारों तक सीमित नहीं है। वे तो हमारे हृदय में, हमारे विचारों में, हमारे जीवन में निवास करते हैं। चलो, इस गहन सत्य को गीता के शब्दों से समझते हैं।