dryness

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जब भक्ति सूख सी जाए — फिर भी आशा की लौ जलती रहे
साधक, जीवन में कभी-कभी ऐसा भी होता है जब मन की गहराई में भक्ति की वह मीठी धारा सूख सी जाती है। ऐसा महसूस होता है कि भगवान से हमारा जुड़ाव कमजोर पड़ गया है, और दिल में प्रेम की वह पहली चमक फीकी पड़ गई है। यह एक स्वाभाविक अवस्था है, न कि हार का संकेत। चलिए, हम भगवद गीता के अमृत शब्दों के साथ इस सूखेपन को समझें और फिर से अपनी भक्ति की यात्रा को पुनः प्रज्वलित करें।

सूखे मौसम में भी जीवन खिलता है — आध्यात्मिक सूखे को समझना और पार करना
साधक,
तुम्हारी यह यात्रा, जो प्रेम और भक्ति के पथ पर है, कभी-कभी सूखे, शुष्क और वीरान पड़ावों से गुजरती है। यह स्वाभाविक है कि जब मन में कोई अनुभूति न हो, जब दिल सूना लगे, तब असहजता होती है। पर याद रखो, सूखे मौसम के बाद भी बारिश आती है, और धरती हरी-भरी हो जाती है। तुम्हारा भी यही अनुभव होगा। मैं तुम्हारे साथ हूँ, और हम मिलकर इस सूखे को पार करेंगे।