जब भक्ति सूख सी जाए — फिर भी आशा की लौ जलती रहे
साधक, जीवन में कभी-कभी ऐसा भी होता है जब मन की गहराई में भक्ति की वह मीठी धारा सूख सी जाती है। ऐसा महसूस होता है कि भगवान से हमारा जुड़ाव कमजोर पड़ गया है, और दिल में प्रेम की वह पहली चमक फीकी पड़ गई है। यह एक स्वाभाविक अवस्था है, न कि हार का संकेत। चलिए, हम भगवद गीता के अमृत शब्दों के साथ इस सूखेपन को समझें और फिर से अपनी भक्ति की यात्रा को पुनः प्रज्वलित करें।