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धर्म के पथ पर: बदलाव की पहचान कैसे करें?
साधक, जीवन के परिवर्तन के क्षण अक्सर हमारे मन में सवाल और संशय लेकर आते हैं। जब कोई बदलाव आपके सामने आता है, तो यह समझना कठिन हो जाता है कि क्या वह आपके धर्म, आपकी आस्था और आपके जीवन के मूल्यों के अनुरूप है या नहीं। चिंता मत कीजिए, आप अकेले नहीं हैं। भगवद गीता के शाश्वत ज्ञान में उस प्रकाश की किरण है जो आपके मन के अंधकार को दूर कर सकती है।

किशोरों के जीवन में गीता की अमूल्य ज्योति: एक गुरु की आवाज़
साधक,
जब हम किशोरों के जीवन की बात करते हैं, तो हम उनके भीतर की जिज्ञासा, उलझन और भावनाओं की गहराई को समझना चाहते हैं। यह वह समय है जब वे अपने अस्तित्व की खोज में हैं, अपने रिश्तों को समझने और जीवन के महत्व को जानने की कोशिश कर रहे हैं। माता-पिता और शिक्षक के रूप में हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें गीता के अमूल्य संदेश से परिचित कराएं, ताकि वे अपने जीवन के संघर्षों को सहजता से पार कर सकें।

आत्मा की अनंत यात्रा: कृष्ण से अर्जुन तक का संवाद
प्रिय शिष्य, तुम उस गहन प्रश्न के साथ आए हो जो हर मानव के अंतर्मन की गहराइयों में छिपा होता है — "मैं कौन हूँ?" और "मेरा असली स्वरूप क्या है?" यह प्रश्न तुम्हें भ्रमित कर सकता है, पर जान लो, तुम अकेले नहीं हो। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के मन की इसी उलझन को दूर किया था। चलो, उनके दिव्य संवाद से हम भी आत्म-ज्ञान की ओर कदम बढ़ाते हैं।

जब कृष्ण का स्पर्श हो मन पर — जानिए कैसे महसूस करें उनका मार्गदर्शन
साधक,
तुम्हारे मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है — "कैसे जानूं कि कृष्ण मुझे मार्गदर्शन कर रहे हैं?" यह प्रश्न भक्ति के पथ पर चलने वाले हर साधक के हृदय में आता है। यह एक सुंदर संकेत है कि तुम्हारा हृदय सच्चाई और दिव्यता की खोज में है। चिंता मत करो, क्योंकि कृष्ण का मार्गदर्शन हमेशा होता है, बस उसे पहचानने की कला चाहिए।

टूटे दिलों के लिए कृष्ण का सहारा: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय शिष्य, जब जीवन की आंधियाँ तेज़ हों और मन टूट-सा जाए, तब यह अनुभव करना स्वाभाविक है कि हम खो गए हैं। लेकिन जान लो, यह क्षण भी गुजर जाएगा। कृष्ण की गीता की अमृत वाणी में ऐसी शक्ति छुपी है, जो तुम्हारे टूटे मन को जोड़ने का साहस देगी।

जीवन के मध्यम मार्ग पर: गीता से संकट में सहारा
साधक, जब जीवन का मध्य चरण आता है, तो अक्सर मन में गहरी उलझनें, प्रश्न और असमंजस घर कर लेते हैं। तुम्हारा यह प्रश्न — "गीता मध्यजीवन संकट में लोगों का मार्गदर्शन कैसे करती है?" — बहुत ही सार्थक है। यह समय होता है जब व्यक्ति अपने उद्देश्य, धर्म और जीवन पथ को लेकर भ्रमित हो जाता है। परन्तु चिंता मत करो, गीता की शिक्षाएँ इस अंधकार में दीपक की तरह हैं, जो तुम्हें सही दिशा दिखाती हैं।

संकट की घड़ी में कृष्ण: आपका आंतरिक प्रकाश और मार्गदर्शक
साधक, जब जीवन की कठिनाइयाँ और तनाव हमारे दिल-दिमाग पर भारी पड़ते हैं, तब हमें एक सच्चे मार्गदर्शक की तलाश होती है। भगवान श्रीकृष्ण को आंतरिक मार्गदर्शक इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे हमारे भीतर की गहराई में छिपे धैर्य, समझ और शांति को जगाते हैं। आइए, इस रहस्य को गीता के अमृत श्लोकों से समझते हैं।