भीतर की लड़ाई में कृष्ण का साथ
प्रिय शिष्य, जब तुम्हारा मन भीतर से तुम्हें ही टोकता है, आलोचना करता है, और शांति खोने लगता है, तो समझो कि यह आंतरिक युद्ध है। तुम अकेले नहीं हो। हर मानव के मन में यह आवाज़ उठती है, परंतु श्रीकृष्ण की गीता हमें सिखाती है कि हम उस आंतरिक आलोचक को कैसे मित्र बना सकते हैं, उसे कैसे शांत कर सकते हैं।