resistance

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

मन की जिद और आदतों की लड़ाई: तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब हम अच्छी आदतें अपनाने की कोशिश करते हैं, तब हमारा मन अक्सर विरोध करता है। यह विरोध तुम्हारे भीतर की पुरानी प्रवृत्तियों, आराम की इच्छा और अज्ञात के डर से होता है। यह संघर्ष सामान्य है, और इसका सामना हर कोई करता है। तुम अकेले नहीं हो, बस थोड़ा धैर्य और समझ की जरूरत है।

जब इच्छा के विरुद्ध कर्म करना पड़े — तुम्हारा मन अकेला नहीं
साधक, जीवन में कभी-कभी ऐसे क्षण आते हैं जब हमें अपने मन की इच्छा के विपरीत कार्य करने को मजबूर होना पड़ता है। यह अनुभव तुम्हारे लिए भारी और उलझन भरा हो सकता है। पर याद रखो, ऐसा होना तुम्हारे अस्तित्व का हिस्सा है, और इस परिस्थिति में भी गीता तुम्हारा मार्गदर्शन करने को तैयार है।

मन की उलझनों में शांति की खोज: तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब तुम शांति की चाह रखते हो, तब भी मन भीतर से विरोध करता है, यह एक सामान्य मानवीय अनुभव है। यह ऐसा है जैसे तुम्हारे भीतर दो आवाज़ें हों—एक शांति की ओर बुलाती है, दूसरी बेचैनी और उलझन की। यह द्वंद्व तुम्हें कमजोर नहीं बनाता, बल्कि तुम्हारे अंदर परिवर्तन की प्रक्रिया चल रही होती है। आइए, भगवद गीता के अमृत श्लोकों के माध्यम से इस उलझन को समझें और मन को शांति की ओर ले चलें।