emotional pain

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Karma Cycles & Life Challenges

फिर से प्रेम और समझ की ओर बढ़ें: परिवार के साथ अपने व्यवहार का पछतावा
साधक, जब हम अपने माता-पिता या परिवार के प्रति किए गए व्यवहार पर पछतावा महसूस करते हैं, तो यह हमारी आत्मा की गहराई से उठी हुई एक पुकार होती है — सुधार की, प्रेम की, और पुनः जुड़ने की। यह भावना खुद में एक उपहार है, जो हमें बेहतर इंसान बनने का अवसर देती है। चलिए, इस उलझन को भगवद गीता के अमूल्य ज्ञान से समझते हैं।

दिल के दरारों को समझना: विवाह में भावनात्मक चोट का सहारा
साधक,
जब दिल टूटता है, जब रिश्तों में दर्द छुपा होता है, तब मन विचलित हो उठता है। विवाह एक सुंदर बंधन है, लेकिन उसमें भी कभी-कभी भावनात्मक चोटें आती हैं। यह स्वाभाविक है। तुम अकेले नहीं हो। गीता की दिव्य बुद्धिमत्ता हमें इस दर्द को समझने, सहने और पार करने का मार्ग दिखाती है। चलो, मिलकर इस जटिल मनोभावना को गीता के प्रकाश में समझते हैं।

उजाले की ओर पहला कदम: तुम अकेले नहीं हो
मेरे प्रिय शिष्य, जब जीवन के अंधकार घने हो जाते हैं, और मन की गहराइयों में निराशा का सन्नाटा छा जाता है, तब ऐसा लगता है जैसे कोई प्रकाश नहीं बचा। पर याद रखो, अंधकार केवल प्रकाश की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि प्रकाश का इंतजार भी है। यह समय तुम्हारे भीतर के उस दीपक को खोजने का है जो कभी बुझा नहीं, केवल धुंध में छिपा था।

टूटे बिना झेलो दर्द की आँधियाँ — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब भावनाओं का तूफ़ान आता है, तब ऐसा लगता है जैसे सब कुछ टूट जाएगा। पर जानो, इस टूटन में भी तुम्हारे भीतर एक नयी शक्ति जागती है। तुम अकेले नहीं हो, यह दर्द हर किसी के जीवन में आता है, और गीता हमें सिखाती है कि कैसे हम टूटे बिना, स्थिर रहकर उस दर्द को सहन कर सकते हैं।