harmony

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

त्याग: परिवार की मिट्टी में उगता फूल
साधक, पारिवारिक जीवन एक ऐसा पवित्र बंधन है जहाँ प्रेम, समझदारी और त्याग की मिट्टी में रिश्ते फलते-फूलते हैं। जब हम त्याग को समझते हैं, तो हम परिवार की खुशहाली की नींव को समझते हैं। आइए, गीता के प्रकाश में इस विषय पर गहराई से विचार करें।

🕉️ शाश्वत श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

(अध्याय 2, श्लोक 47)

विवाद की धारा में भी एकता बनाए रखना
जब नेतृत्व की जिम्मेदारी हाथ में होती है, तब विवाद और मतभेद तो स्वाभाविक हैं। पर क्या ऐसा संभव है कि हम बिना किसी टूट-फूट के, बिना विभाजन के, इन मतभेदों को संभाल सकें? यह आपके भीतर की समझ, धैर्य और सही दृष्टि से संभव है। आइए, गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाते हैं।

ईर्ष्या की छाया से निकलो: पेशेवर जीवन में आत्मविश्वास की ओर
साधक,
पेशेवर दुनिया में ईर्ष्या एक सामान्य मानवीय भावना है, लेकिन जब यह हमारे मन में घुलने लगे तो यह हमारे विकास और शांति का मार्ग अवरुद्ध कर सकती है। यह समझना जरूरी है कि ईर्ष्या हमारे अंदर की असुरक्षा और तुलना की भावना से जन्म लेती है। आइए, भगवद गीता की अमृतवाणी से इस उलझन का समाधान खोजें।

अलगाव: दूरी नहीं, सुधार की सीढ़ी है
प्रिय स्नेही शिष्य,
जब रिश्तों में दूरी या अलगाव की बात आती है, तो मन में अक्सर डर, असमंजस और अकेलेपन के भाव उठते हैं। परंतु जानो, यह अलगाव कोई टूटन नहीं, बल्कि एक अवसर है — अपने और अपने रिश्तों के लिए नई समझ और सुधार की। तुम अकेले नहीं हो; हर रिश्ता कभी न कभी इस सवाल से गुज़रता है। आइए, भगवद् गीता के अमूल्य ज्ञान के साथ इस उलझन को सुलझाएं।