त्याग: परिवार की मिट्टी में उगता फूल
साधक, पारिवारिक जीवन एक ऐसा पवित्र बंधन है जहाँ प्रेम, समझदारी और त्याग की मिट्टी में रिश्ते फलते-फूलते हैं। जब हम त्याग को समझते हैं, तो हम परिवार की खुशहाली की नींव को समझते हैं। आइए, गीता के प्रकाश में इस विषय पर गहराई से विचार करें।
🕉️ शाश्वत श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(अध्याय 2, श्लोक 47)