🌿 "तुम अकेले नहीं हो: रिश्तों की उलझनों में सहारा"
साधक, जब दिल रिश्तों की जटिलताओं से घिरा हो, तब यह प्रश्न स्वाभाविक है — क्या हमें उन संबंधों से दूर जाना चाहिए जो हमें दुख देते हैं? यह निर्णय आसान नहीं होता। चलिए, गीता के अमृत वचनों से इस उलझन को समझने की कोशिश करते हैं।