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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

मन की बंधनों से मुक्त होने का पहला दीपक: ध्यान और क्षमा की यात्रा
साधक, जब तुम इस प्रश्न के साथ आए हो — क्या ध्यान भावनात्मक मुक्ति और क्षमा में सहायक है? — तो समझो कि तुम्हारा मन किसी भारी बादल के नीचे है, जो ग़लतियों, अपराधबोध और अनकहे दर्द से घिरा हुआ है। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि तुम मुक्त होना चाहते हो, पर रास्ता कहीं खोया सा लगता है। मैं तुम्हें आश्वस्त करता हूँ, तुम अकेले नहीं हो, और ध्यान तुम्हारे इस सफर में एक सच्चा साथी बन सकता है।

मृत्यु: अंत नहीं, एक नई शुरुआत की ओर कदम
साधक, जब मृत्यु की बात आती है, तो मन में अनिश्चितता, भय और कभी-कभी गहरा शून्य सा महसूस होता है। यह स्वाभाविक है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि मृत्यु केवल एक अंत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मुक्ति का द्वार भी हो सकती है? चलिए, गीता के प्रकाश में इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर खोजते हैं।

यादों के सागर में डूबे मन को शांति की ओर ले जाना
साधक,
जब कोई यादें हमारे दिल और दिमाग पर इतनी छाई होती हैं कि वे हमें आगे बढ़ने नहीं देतीं, तब यह समझना बहुत जरूरी होता है कि हम अकेले नहीं हैं। हर व्यक्ति के मन में कभी न कभी ऐसी यादों का सैलाब आता है जो उसे भीतर तक झकझोर देता है। लेकिन यादों से चिपके रहना, जैसे कोई बोझ बन जाता है, हमें वर्तमान की खुशियों और भविष्य की संभावनाओं से दूर कर देता है। आइए, भगवद गीता के प्रकाश में इस उलझन को समझें और उससे मुक्त होने का मार्ग खोजें।