hopelessness

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

फिर से उठो: जब सब कुछ निरर्थक लगे तब भी जीवन में अर्थ खोजो
साधक, जब मन के अंधकार में ऐसा लगे कि सब कुछ व्यर्थ है, तो समझो कि यह भी एक क्षणिक छाया है जो गुजर जाएगी। तुम अकेले नहीं हो, हर मनुष्य के जीवन में ऐसे समय आते हैं जब सब कुछ निरर्थक सा लगता है। पर यही वह पल है जब भीतर की अग्नि को फिर से जलाना होता है।

जब सब कुछ अंधकार लगे — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब जीवन की राहें कठिन और मन भारी हो, जब हार मान लेने का विचार बार-बार मन में आए, तब जान लो कि यह अनुभव मानवता का हिस्सा है। तुम अकेले नहीं हो। हर महान योद्धा ने अपने भीतर के अंधकार से जूझा है। इस घड़ी में भगवद्गीता के शब्द तुम्हारे लिए प्रकाश बन सकते हैं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

(भगवद्गीता 2.47)

सपनों का संघर्ष: जब मन करे हार मानने का
साधक, यह पल तुम्हारे जीवन का सबसे संवेदनशील मोड़ है। जब सपनों को छोड़ने का मन हो, तब भीतर की बेचैनी और निराशा तुम्हें घेर लेती है। जान लो, यह स्थिति तुम्हारे संघर्ष का हिस्सा है, और तुम अकेले नहीं हो। हर महान व्यक्ति ने ऐसे समय का सामना किया है। चलो, इस अंधेरे में दीपक जलाते हैं।