Gita

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

वैराग्य: मन की शांति की ओर पहला कदम
साधक, जब जीवन की उलझनों और भावनाओं के बीच तुम वैराग्य की खोज करते हो, तो समझो कि यह कोई कठोर त्याग नहीं, बल्कि मन की गहराई से आई हुई एक सहज शांति है। वैराग्य का अर्थ है अपनी इच्छाओं, आसक्तियों और मोह से मुक्त होकर जीवन को एक नयी दृष्टि से देखना। तुम अकेले नहीं हो, हर एक मानव इसी खोज में है।

🕉️ शाश्वत श्लोक

यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ |
समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते ||
(भगवद गीता 2.15)

मृत्यु: अंत नहीं, एक नई शुरुआत
साधक, जब मृत्यु का विचार मन को घेर लेता है, तो यह स्वाभाविक है कि भय, चिंता और अनिश्चितता की लहरें उठती हैं। परन्तु जान लो, तुम अकेले नहीं हो। हर जीव इसी चक्र का हिस्सा है। भगवद गीता में मृत्यु को एक अंतिम समाप्ति नहीं, बल्कि परिवर्तन और पुनःजन्म का एक पड़ाव बताया गया है। चलो, इस गूढ़ सत्य को समझने की ओर एक साथ कदम बढ़ाते हैं।

धर्म का सार: जीवन की दिशा और आत्मा की पुकार
साधक, जब हम "धर्म" की बात करते हैं, तो यह केवल नियमों या कर्तव्यों का संग्रह नहीं है। धर्म वह जीवन की गहरी धारा है, जो हमें सही और गलत के बीच मार्ग दिखाती है, हमारे अस्तित्व की सार्थकता को समझाती है, और हमें अपने उद्देश्य की ओर ले जाती है। आज हम गीता के प्रकाश में इस अनमोल विषय को समझने का प्रयास करेंगे।

🕉️ शाश्वत श्लोक

धर्म की परिभाषा के लिए गीता का यह श्लोक अत्यंत महत्वपूर्ण है:

चलो यहाँ से शुरू करें — सच्चे मार्ग की खोज
साधक, तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। जीवन की गुत्थियाँ, पहचान की उलझनें, और सच्चे उद्देश्य की तलाश हर किसी के भीतर होती है। यह जान लो कि तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता की शिक्षाएँ सदियों से उन लोगों के लिए प्रकाश स्तंभ रही हैं जो अपने अस्तित्व के अर्थ को समझना चाहते हैं। आइए, इस पावन ग्रंथ के कुछ अमूल्य श्लोकों से हम तुम्हारे प्रश्न का उत्तर खोजें।

अपने भीतर की असली पहचान से मिलन: एक दिव्य यात्रा की शुरुआत
साधक, जब तुम अपने वास्तविक स्वरूप को खोजने की चाह रखते हो, तो यह एक अद्भुत और गहन यात्रा की शुरुआत है। जीवन की भीड़-भाड़, भ्रम और बाहरी प्रभावों के बीच हम अक्सर अपने असली अस्तित्व को भूल जाते हैं। लेकिन चिंता मत करो, तुम अकेले नहीं हो। भगवद गीता की अमृत वाणी तुम्हें उस अनंत सत्य तक पहुंचने का मार्ग दिखाएगी, जहां तुम स्वयं के सर्वोच्च रूप को जान सकोगे।

सफलता का सच्चा स्वरूप: गीता से जीवन की असली जीत
साधक, जब हम "सफलता" की बात करते हैं, तो अक्सर हमारी नजरें बाहर की चमक-दमक पर टिक जाती हैं — पद, प्रतिष्ठा, धन, या समाज की मान्यता। पर क्या यही सफलता की परिभाषा है? भगवद गीता हमें सिखाती है कि सच्ची सफलता का मापदंड कुछ और ही है — वह अंतर्मुखी, स्थायी और आत्मा से जुड़ा होता है।