time management

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

समय की चूक और अपराधबोध: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, जीवन में ऐसा समय आता है जब हम अपने कीमती समय को व्यर्थ गवां देते हैं और फिर अपने आप को दोषी महसूस करते हैं। यह अपराधबोध एक बोझ बन जाता है, जो आगे बढ़ने में बाधा डालता है। पर याद रखो, गीता के शब्द हमें यही सिखाते हैं कि हम अपने अतीत को लेकर व्याकुल न हों, बल्कि वर्तमान में जागरूकता और कर्मशीलता से आगे बढ़ें।

चलो यहाँ से शुरू करें: व्यस्तता के बीच आध्यात्मिकता की खोज
प्रिय मित्र,
आज के इस तेज़ रफ्तार जीवन में, जब हर पल नई चुनौतियाँ और जिम्मेदारियाँ हमें घेरे रहती हैं, आध्यात्मिकता की राह पर निरंतर बने रहना कठिन लगता है। पर याद रखिए, आप अकेले नहीं हैं। हर उस मनुष्य के भीतर एक दिव्य प्रकाश है, जो व्यस्तता के बादलों के बीच भी चमक सकता है। आइए, भगवद गीता के अमूल्य संदेश से इस राह को सरल और सार्थक बनाते हैं।

समय का सच्चा साथी: शांति से सफलता की ओर
साधक,
जब हम जीवन की दौड़ में भागते हैं, तब अक्सर मन बेचैन और समय असमर्थ सा लगता है। पर क्या होगा यदि मैं कहूं कि शांति और समय प्रबंधन एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि सच्चे साथी हैं? आइए, इस उलझन को भगवद गीता के प्रकाश में समझें।