समय की चूक और अपराधबोध: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय मित्र, जीवन में ऐसा समय आता है जब हम अपने कीमती समय को व्यर्थ गवां देते हैं और फिर अपने आप को दोषी महसूस करते हैं। यह अपराधबोध एक बोझ बन जाता है, जो आगे बढ़ने में बाधा डालता है। पर याद रखो, गीता के शब्द हमें यही सिखाते हैं कि हम अपने अतीत को लेकर व्याकुल न हों, बल्कि वर्तमान में जागरूकता और कर्मशीलता से आगे बढ़ें।