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तुम केवल यह शरीर नहीं हो — आत्मा का सच्चा स्वरूप समझो
प्रिय शिष्य, जब हम अपने आप को केवल इस नश्वर शरीर के रूप में देखते हैं, तो जीवन की गहराई और सच्चाई से दूर हो जाते हैं। यह भ्रम हमें दुख, भय और अस्थिरता की ओर ले जाता है। परंतु भगवद्गीता हमें सिखाती है कि हमारा असली स्वरूप शरीर नहीं, अपितु वह अमर आत्मा है जो शरीर के पीछे छिपी हुई है। आइए इस सत्य को गहराई से समझें।

आत्मा और शरीर: असली पहचान की खोज
प्रिय शिष्य, जब जीवन की गहराई में उतरते हैं, तो अक्सर यह उलझन होती है कि हम कौन हैं — क्या हम वही हैं जो हमारा शरीर दिखाता है, या कुछ और? यह भ्रम हर मनुष्य के साथ होता है। कृष्ण ने भगवद गीता में इस अंतर को इतनी सरलता और स्पष्टता से समझाया है कि हमारा अस्तित्व शरीर से परे है। आइए, इस दिव्य ज्ञान के द्वार खोलें।

तुम अकेले नहीं हो: पहचान की खोज में एक साथ
साधक, यह प्रश्न मानव जीवन के सबसे गहरे और मूलभूत विषयों में से एक है। हम अक्सर अपने आप को शरीर, मन, या भावनाओं से जोड़ लेते हैं, पर क्या यही हमारी असली पहचान है? या कुछ उससे भी परे है? चलो, इस अनमोल यात्रा की शुरुआत गीता के दिव्य वचनों से करते हैं।