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जीवन के अनंत प्रवाह में: आत्मा का अमरत्व समझना
साधक, जब जीवन के अंत की ओर कदम बढ़ते हैं, और मन में मृत्यु के भय और अनिश्चितता की छाया घिरती है, तब यह समझना अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि हमारा असली स्वरूप क्या है। आत्मा, जो हमारा सच्चा अस्तित्व है, वह न तो जन्म लेती है, न मरती है। आइए, भगवद गीता के दिव्य शब्दों से इस सत्य को समझें और अपने मन को शांति प्रदान करें।

आत्मा की अमरता: एक अनंत यात्रा की समझ
साधक, जब जीवन की अनिश्चितता और मृत्यु की छाया हमारे मन को घेरती है, तब गीता की वह अमर शिक्षा हमारे भीतर एक उजियारा जलाती है। यह ज्ञान हमें भय से ऊपर उठकर आत्मा की शाश्वत प्रकृति को समझने में सहारा देता है। तुम अकेले नहीं हो, यह सत्य सदियों से मानवता का सहारा रहा है।

आत्मा की अनंत यात्रा: तुम वह शाश्वत चेतना हो
साधक, जब जीवन की गहराइयों में तुम अपनी असली पहचान की खोज में हो, तो यह जान लो कि तुम अकेले नहीं हो। कृष्ण ने हमें बताया है कि हमारा अस्तित्व केवल शरीर या मन तक सीमित नहीं, बल्कि वह शाश्वत आत्मा है, जो न कभी जन्मती है, न मरती है। यह ज्ञान तुम्हारे जीवन के उद्देश्य और असली पहचान की खोज में प्रकाश की तरह है।