non-attachment

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

पहचान की भूल से मुक्त होने का संदेश: तुम वह नहीं जो दिखता है
साधक,
जब हम अपने आप को केवल बाहरी भूमिकाओं, समाज की अपेक्षाओं या अपने अहंकार की सीमाओं में बाँध लेते हैं, तब असली आत्मा की आवाज़ दब जाती है। यह भ्रम हमें भीतर से बेचैन करता है। लेकिन भगवद गीता हमें सिखाती है कि हमारी असली पहचान शरीर, मन या भूमिका से परे है। आइए, इस गूढ़ सत्य को समझें और उस भ्रम से मुक्त हों।

आसक्ति से मुक्त होकर कर्म करना — जीवन का सच्चा रहस्य
साधक, जीवन में जब हम अपने कर्तव्यों को निभाते हैं पर मन में लगाव और अपेक्षाएँ जुड़ी होती हैं, तब हम अक्सर दुख और चिंता के जाल में फंस जाते हैं। तुम्हारा यह प्रश्न — "बिना आसक्ति के अपना कर्तव्य निभाना" — जीवन की गहरी समझ की ओर पहला कदम है। चलो, इसे गीता के प्रकाश में समझते हैं।

तुम केवल यह शरीर नहीं हो — आत्मा का सच्चा स्वरूप समझो
प्रिय शिष्य, जब हम अपने आप को केवल इस नश्वर शरीर के रूप में देखते हैं, तो जीवन की गहराई और सच्चाई से दूर हो जाते हैं। यह भ्रम हमें दुख, भय और अस्थिरता की ओर ले जाता है। परंतु भगवद्गीता हमें सिखाती है कि हमारा असली स्वरूप शरीर नहीं, अपितु वह अमर आत्मा है जो शरीर के पीछे छिपी हुई है। आइए इस सत्य को गहराई से समझें।