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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

नई राहों पर कदम: जब जीवन की भूमिकाएँ बदलती हैं
साधक, जब जीवन की भूमिकाएँ अचानक बदलती हैं, तो मन में असमंजस, भय और पहचान की उलझन स्वाभाविक है। तुम अकेले नहीं हो। हर परिवर्तन के पीछे एक नई सीख और एक नई शुरुआत छिपी होती है। भगवद गीता हमें इस अनिश्चितता में भी स्थिरता और आत्म-विश्वास की राह दिखाती है।

पहचान के परे: असली "मैं" की खोज की ओर
साधक,
तुम्हारे मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है — नाम, प्रसिद्धि और भूमिकाओं के पीछे छिपे असली "मैं" को पहचानना, जो इन सब से परे है। यह सफर आसान नहीं, लेकिन गीता की गहराई में छुपा तुम्हारा उत्तर तुम्हें शांति और सच्चाई की ओर ले जाएगा। आइए, मिलकर इस रहस्य को समझें।

अपने धर्म की राह पर चलना: जीवन की भूमिका और जिम्मेदारी का संदेश
साधक, जीवन के इस जटिल मार्ग पर जब हम अपने कर्तव्यों और भूमिकाओं के बारे में सोचते हैं, तो मन में अनेक प्रश्न उठते हैं — क्या मैं सही मार्ग पर हूँ? मेरी जिम्मेदारी क्या है? गीता हमें इस उलझन से बाहर निकालने का अमूल्य प्रकाश प्रदान करती है।

🌟 "तुम वह नहीं जो दिखता है" — अस्थायी पहचान से परे का सफर
साधक,
तुम्हारा यह सवाल जीवन के सबसे गहरे रहस्यों में से एक की ओर संकेत करता है। नौकरी, पद, नाम — ये सब तो केवल बाहरी आवरण हैं, अस्थायी भूमिकाएं हैं जो समय के साथ बदलती रहती हैं। पर क्या वह सच्चाई है जो तुम्हारा अस्तित्व परिभाषित करती है? नहीं। तुम उससे कहीं अधिक हो। चलो, भगवद गीता के अमृत श्लोकों से इस प्रश्न का उत्तर खोजते हैं।