पहचान की उलझनों में: तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब जीवन के मोड़ पर हम खुद को खोया हुआ महसूस करते हैं, जब पहचान की धुंध छा जाती है, तो यह जान लो कि यह भ्रम केवल तुम्हारे मन का एक पड़ाव है, न कि अंतिम सच। तुम अकेले नहीं हो, हर आत्मा इस यात्रा में कभी न कभी खो जाती है। चलो मिलकर उस अनंत प्रकाश की ओर कदम बढ़ाएं जो तुम्हारे भीतर ही छुपा है।