जब अर्जुन भी टूटा, तो तुम अकेले नहीं हो
साधक, जीवन के कठिन क्षणों में जब मन टूटता है, तब लगता है जैसे सब कुछ अधूरा और असहनीय हो गया हो। अर्जुन भी युद्धभूमि पर जब अपने कर्तव्य और भावनाओं के बीच उलझ गया, तब उसके मन की पीड़ा गहरी थी। उसकी इस कमजोरी से हमें यह सीख मिलती है कि टूटना भी मानवता का हिस्सा है, और उससे उठ खड़ा होना ही सच्ची शक्ति है।