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Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

शरीर: आपका प्रिय सेवक, आपका सच्चा मित्र
साधक, जब हम अपने शरीर को केवल एक वस्तु या बोझ समझते हैं, तो वह हमें दर्द और पीड़ा का कारण लगता है। लेकिन श्रीकृष्ण हमें बताते हैं कि हमारा शरीर हमारा सेवक है, जो हमारी आत्मा की सेवा करता है। इसे प्यार और सम्मान से संभालना चाहिए, न कि अत्याचार और उपेक्षा से। आओ, गीता के दिव्य शब्दों में इस रहस्य को समझें।

सेवा में नेतृत्व: सच्चे नेता का स्वभाव
साधक, जब हम नेतृत्व की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे मन में सत्ता, अधिकार या नियंत्रण की छवि उभरती है। लेकिन भगवद गीता हमें सिखाती है कि सच्चा नेतृत्व सेवा का मार्ग है, जिसमें स्वार्थ नहीं, बल्कि समर्पण और दूसरों की भलाई सर्वोपरि होती है। तुम अकेले नहीं हो इस यात्रा में, क्योंकि हर एक सच्चा नेता अपने कर्म से समाज में प्रकाश फैलाता है।

सेवा ही सच्चा धर्म है — चलो इस राह पर साथ चलें
साधक,
तुम्हारा मन इस प्रश्न से उलझा है कि क्या दूसरों की सेवा ही तुम्हारा धर्म हो सकता है। यह एक बहुत ही सुंदर और गहन प्रश्न है। जीवन में धर्म का अर्थ केवल नियम-कायदे नहीं, बल्कि वह मार्ग है जो हमें अपने और संसार के कल्याण की ओर ले जाता है। सेवा, प्रेम और समर्पण का भाव हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाता है। चलो, गीता के प्रकाश में इस सवाल का उत्तर तलाशते हैं।

दयालुता की सरलता में कृष्ण की सेवा का अद्भुत मार्ग
प्रिय शिष्य,
जब हम कृष्ण की सेवा की बात करते हैं, तो अक्सर हम बड़े, भव्य कार्यों की कल्पना करते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि साधारण दयालुता के छोटे-छोटे कार्य भी भगवान की सेवा का सबसे सुंदर रूप हो सकते हैं? आज हम इस सरल, लेकिन गहरे विषय पर गीता के प्रकाश में विचार करेंगे।

जीवन का उच्चतम उद्देश्य: कृष्ण का प्रकाशमय संदेश
साधक,
तुम्हारा यह सवाल जीवन की गहराई को छूता है। हम अक्सर खुद से पूछते हैं—मैं यहाँ क्यों हूँ? मेरा असली मकसद क्या है? कृष्ण की गीता हमें इस उलझन से बाहर निकालने का दिव्य प्रकाश देती है। चलो, इस पथ पर साथ चलते हैं।