self-belief

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

अपने रास्ते के सच्चे साथी बनो: जब दुनिया संदेह करे
प्रिय युवा मित्र, यह सच है कि जब हम अपने सपनों और आदर्शों के लिए खड़े होते हैं, तो कभी-कभी दूसरों का संदेह और सवाल हमारे मन को डगमगा देता है। लेकिन याद रखो, तुम्हारा सफर तुम्हारा है, और तुम्हें अपने सत्य के प्रति सच्चा बने रहना है। आइए, गीता के अमर शब्दों से हम इस उलझन को समझें और समाधान पाएं।

🕉️ शाश्वत श्लोक

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

(अध्याय 2, श्लोक 47)

अपनी राह पर अडिग: जब आलोचना का सामना हो
साधक, जब हम अपने उद्देश्य और धर्म के मार्ग पर चलते हैं, तो अक्सर दूसरों की आलोचनाएँ हमारे मन में संशय और असहजता की लहरें उठाती हैं। यह स्वाभाविक है। पर याद रखो, तुम्हारा जीवन तुम्हारे कर्मों और विश्वासों का प्रतिबिंब है। आइए, भगवद गीता के दिव्य प्रकाश में इस उलझन को सुलझाएँ।

निडरता की ओर पहला कदम: अर्जुन की तरह साहस जगाना
साधक,
तुम्हारे मन में जो सवाल उठ रहा है — "अर्जुन की तरह निडर कैसे बनें?" — यह वास्तव में एक महान प्रश्न है। निडरता केवल भय का अभाव नहीं, बल्कि अपने कर्तव्य, धर्म और सत्य के प्रति दृढ़ निश्चय है। अर्जुन ने भी शुरुआत में भय, संशय और उलझनों का सामना किया था, फिर भी उन्होंने अपने भीतर से उस निडरता को जगाया। आइए, हम गीता के प्रकाश में इस राह को समझें और अपने मन के संदेहों को दूर करें।