disconnection

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

बदलते हुए स्वयं से दोस्ती: जब हम बदलते हैं और लोग नहीं
साधक, जीवन की इस जटिल यात्रा में जब हम अपने भीतर बदलाव महसूस करते हैं, पर आसपास के लोग वैसा न करें, तो यह असहज और अकेलापन सा लग सकता है। पर जान लो, यह तुम्हारे विकास का संकेत है, तुम्हारे आत्मा के जागरण का पहला कदम है। तुम अकेले नहीं हो, हर कोई अपनी गति से चलता है, और बदलाव का अर्थ है जीवन की नयी दिशा को अपनाना।

भीड़ के बीच भी अकेलापन: तुम अकेले नहीं हो
साधक, यह अनुभव बहुत गहरा और सामान्य है — भीड़ में होते हुए भी जब मन भीतर से खाली और अलग-थलग महसूस करता है, तो यह तुम्हारे अस्तित्व की एक सूक्ष्म पुकार है। यह अकेलापन तुम्हारे अंदर की उस आत्मीयता की खोज है, जो भीड़ की आवाज़ों से परे है। चलो, इस भाव को समझने और उससे जुड़ने का प्रयास करें।

तुम अकेले नहीं हो — आत्मा का वह अनछुआ सफर
तुम अपने आप से अलगाव महसूस कर रहे हो, यह एक गहरा और बहुत सामान्य अनुभव है। यह वह पल है जब मन भीतर से पूछता है — "मैं कौन हूँ? क्या मैं सच में अकेला हूँ?" यह उलझन तुम्हारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है। लेकिन जान लो, यह अलगाव केवल एक भ्रम है, एक पर्दा है जो तुम्हें अपनी असली पहचान से दूर करता है। चलो गीता के प्रकाश में इस भ्रम को दूर करते हैं।