suicide

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Karma Cycles & Life Challenges

जब अंधकार घेर ले जीवन — तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब जीवन की गहराई में अंधकार छा जाता है और मन में आत्महत्या जैसे विचार आते हैं, तो समझो कि यह भी एक कठिन परीक्षा है। तुम अकेले नहीं हो, यह भाव हर मानव के भीतर कभी न कभी आता है। भगवद गीता की दिव्य शिक्षाएँ ऐसे समय में प्रकाश का काम करती हैं, जो तुम्हारे भीतर की निराशा को दूर कर, जीवन की सार्थकता समझाने में मदद करती हैं।

जीवन का सागर है, नाव खुद तुम्हारी है
प्रिय शिष्य, जब जीवन की लहरें इतनी उफनती हैं कि मन में निराशा के बादल छाने लगते हैं, तो तुम्हारे भीतर एक सवाल उठता है — क्या जीवन छोड़ देना ही समाधान है? यह प्रश्न बहुत गूढ़ और संवेदनशील है। मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि तुम अकेले नहीं हो, तुम्हारे भीतर जो भी भावना है, वह पूरी मानवता का हिस्सा है। आइए, हम भगवद गीता के प्रकाश में इस प्रश्न को समझें।

जीवन की गहराइयों में — जब मन आत्म-हानि की ओर झुकता है
साधक, जब जीवन की कठिनाइयाँ इतनी भारी हो जाती हैं कि मन में आत्महत्या या आत्म-हानि के विचार उठते हैं, तब यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के जीवन में अंधकार के क्षण आते हैं, परन्तु भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने हमें सिखाया है कि जीवन का मूल्य और अर्थ अनमोल है। चलो, इस गहन विषय पर गीता के प्रकाश में विचार करते हैं।