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मृत्यु के पार: मोक्ष और पुनर्जन्म की गीता से सीख
प्रिय मित्र, जीवन के अंतिम पड़ाव पर जब मन में मृत्यु और उसके बाद की यात्रा को लेकर सवाल उठते हैं, तब गीता की शिक्षाएँ हमारे लिए दीपक बनकर मार्ग दिखाती हैं। यह समय है शांति और समझ का, जब हम अपने अस्तित्व के गहरे रहस्यों को समझने की ओर कदम बढ़ाते हैं। तुम अकेले नहीं हो, हर आत्मा इस यात्रा से गुजरती है, और गीता में इस यात्रा का सार बताया गया है।

🌿 "तुम अकेले नहीं हो — जीवन और मृत्यु की अनंत यात्रा में साथ"
साधक, जब हम अपने प्रियजनों को खो देते हैं, तब हृदय में एक गहरा शून्य और प्रश्न उठते हैं। क्या हमारी प्रार्थनाएँ, जाप या ध्यान से उनकी आत्मा को शांति मिल सकती है? इस उलझन में तुम अकेले नहीं हो। जीवन और मृत्यु का चक्र निरंतर चलता रहता है, और गीता हमें इस रहस्यमय यात्रा को समझने का प्रकाश देती है। चलो, मिलकर इस प्रश्न का उत्तर खोजें।

मृत्यु: अंत नहीं, एक नई शुरुआत की ओर कदम
साधक, जब मृत्यु की बात आती है, तो मन में अनिश्चितता, भय और कभी-कभी गहरा शून्य सा महसूस होता है। यह स्वाभाविक है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि मृत्यु केवल एक अंत नहीं, बल्कि आध्यात्मिक मुक्ति का द्वार भी हो सकती है? चलिए, गीता के प्रकाश में इस गूढ़ प्रश्न का उत्तर खोजते हैं।