डर के सागर में एक दीपक: आध्यात्मिक यात्रा की सहज सच्चाई
साधक,
तुम्हारे मन में उठ रहा यह सवाल — "क्या आध्यात्मिक मार्ग पर भी डर महसूस करना गलत है?" — यह बहुत स्वाभाविक है। आध्यात्मिकता का अर्थ यह नहीं कि हम इंसानियत के भावों से मुक्त हो जाएं। डर भी एक अनुभूति है, एक संकेत है जो हमें कुछ समझने, सीखने और बढ़ने का अवसर देता है। तुम अकेले नहीं हो, हर महान आत्मा ने कभी न कभी इस भय को अनुभव किया है। आइए, गीता के अमृतवचन से इस प्रश्न का उत्तर खोजते हैं।