इच्छा के जाल से बाहर: तनाव के चक्र को तोड़ना
साधक, जब मन की इच्छाएं अनवरत बढ़ती रहती हैं, तब हम एक ऐसे चक्र में फंस जाते हैं जहाँ शांति दूर और तनाव करीब महसूस होता है। तुम्हारा यह प्रश्न बहुत गहरा है, और इसका उत्तर गीता के अमृत वचन में छुपा है। चलो, मिलकर इस उलझन को समझते हैं और उससे मुक्त होने का मार्ग खोजते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
श्रीभगवद्गीता 2.62-63
ध्यानयोग का वर्णन — इच्छा और तनाव का चक्र