इच्छाओं की लहरों में स्थिरता का दीप जलाएं
साधक,
जब मन में अचानक इच्छाओं का तूफान उठता है, तब भीतर की शांति भंग हो जाती है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि इच्छाएँ हमारे मन की प्रवृत्ति हैं। परन्तु, जीवन की सच्ची स्वतंत्रता उन्हीं के पास है जो इन इच्छाओं के बीच भी केंद्रित और स्थिर रह पाते हैं। तुम अकेले नहीं हो इस अनुभव में; हर मानव मन इसी द्वन्द्व से गुजरता है।