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Karma Cycles & Life Challenges

तुम्हारा अनुभव समझता हूँ — चलो इस डर को मिलकर दूर करें
जब हम देखते हैं कि हमारे आस-पास के लोग जीवन का आनंद ले रहे हैं, तो मन में अक्सर यह डर उठता है कि कहीं हम कुछ महत्वपूर्ण तो नहीं खो रहे। यह FOMO यानी "कुछ मिस न कर जाने" का डर बहुत सामान्य है, पर इसे अपने मन का बोझ बनने मत देना। आइए भगवद गीता के प्रकाश में इस उलझन को समझें और उससे मुक्त होने का मार्ग खोजें।

सुख-सुविधाओं के संग, आसक्ति से मुक्त जीवन का मार्ग
साधक, आज तुम उस गूढ़ प्रश्न के साथ आए हो जो हमारे युग के सबसे बड़े संघर्षों में से एक है — कैसे हम इस भौतिक संसार की सुख-सुविधाओं का आनंद लें, पर उनके जाल में फंसे बिना? यह प्रश्न तुम्हारे मन की गहराई से निकलता है, और मैं तुम्हें आश्वस्त करना चाहता हूँ कि तुम्हारा यह संघर्ष बिल्कुल सामान्य है। तुम अकेले नहीं हो। चलो, श्रीमद्भगवद्गीता के अमृत शब्दों से इस उलझन को सुलझाते हैं।

लगाव से परे: आनंद की स्वतंत्र उड़ान
प्रिय आत्मा, तुम्हारा यह प्रश्न जीवन की गूढ़ समझ की ओर बढ़ा एक कदम है। हम अक्सर सोचते हैं कि आनंद तभी संभव है जब हम किसी वस्तु, व्यक्ति या अनुभव से गहरा लगाव बना लें। परंतु क्या यही आनंद की सीमा है? क्या आनंद का सार केवल संबंधों और वस्तुओं में बंधा है? भगवद् गीता हमें इस भ्रम से मुक्त होकर आनंद की सच्ची स्वतंत्रता का मार्ग दिखाती है।