इच्छाओं की बेचैनी से शांति की ओर पहला कदम
साधक, जब तुम्हारी मनोकामनाएँ पूरी नहीं होतीं, तो बेचैनी और असंतोष का भाव स्वाभाविक है। यह मानव स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन याद रखो, तुम्हारा अस्तित्व इच्छाओं से कहीं अधिक है। चलो, इस बेचैनी को समझते हुए, गीता के अमर शब्दों से तुम्हारे मन को सुकून देते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय |
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ||
(भगवद् गीता 2.48)