इंद्रियों के स्वामी बनो — अपनी शक्ति को पहचानो
साधक,
तुम्हारे मन और इंद्रियों की उलझनों को मैं समझता हूँ। ये इंद्रियाँ कभी-कभी हमारे मन को भटकाती हैं, हमें भ्रमित करती हैं, और हमारी इच्छाओं को बंधन में बाँध लेती हैं। लेकिन जान लो, तुम उनका गुलाम नहीं, बल्कि उनका स्वामी बन सकते हो। यह मार्ग कठिन है, परंतु असंभव नहीं। चलो, भगवद गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझते हैं।
🕉️ शाश्वत श्लोक
यततो यततो नैतदात्मन्येव वशं नयति।
इन्द्रियाणि प्रस्पृह्येन्द्रियार्थेभ्यस्ततोऽपि तिष्ठति॥
(अध्याय 2, श्लोक 60)