धर्म के पथ पर सफलता की सच्ची खोज: तुम अकेले नहीं हो
प्रिय शिष्य, सफलता की चाह में जब हम अपने कर्म और धर्म के बीच संतुलन खोजने लगते हैं, तो मन उलझन में पड़ जाता है। यह प्रश्न हर उस व्यक्ति के हृदय में उठता है जो सिर्फ बाहरी उपलब्धि नहीं, बल्कि आंतरिक शांति और सही मार्ग चाहता है। आइए, हम भगवद गीता के उस अमृत वचन से प्रेरणा लें जो तुम्हारे इस द्वंद्व को सुलझाने में सहायक होगा।