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Karma Cycles & Life Challenges

प्रलोभनों के सामने बुद्धि को मजबूत करने का पहला कदम
साधक, जब जीवन में प्रलोभन आते हैं, तो मन डगमगाने लगता है। यह स्वाभाविक है। परंतु याद रखो, तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति के भीतर वह शक्ति है जो प्रलोभनों को मात दे सकती है। आइए, भगवद गीता की अमृत वाणी से उस शक्ति को जागृत करें।

🌟 चलो बुद्धि को सत्त्व की ओर मोड़ें — निर्णय की शुद्धता की ओर पहला कदम
प्रिय शिष्य,
तुम्हारा मन उस जटिल संसार में सही निर्णय लेने की चाह में उलझा हुआ है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि जीवन के हर मोड़ पर हमें विकल्पों का सामना करना पड़ता है। परंतु चिंता मत करो, तुम्हारी बुद्धि को सत्त्विक, शुद्ध और स्पष्ट निर्णय लेने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। चलो, भगवद गीता के अमृत वचनों से इस यात्रा को शुरू करते हैं।

निर्णय के दो पथ: दिल और दिमाग का संगम
साधक, जीवन के मोड़ पर जब निर्णय लेने की घड़ी आती है, तब मन में अनेक भावनाएँ और विचार उमड़ते हैं। कभी दिल कहता है एक राह, तो बुद्धि दूसरी दिशा दिखाती है। इस द्वंद्व में फंसे तुम्हारे लिए मेरा संदेश है — तुम अकेले नहीं हो। हर व्यक्ति इसी संतुलन की तलाश में है। आइए, गीता की अमृत वाणी से इस उलझन को सुलझाएं।

मन की गाड़ी को बुद्धि के हाथ सौंपना: शांति और स्पष्टता की ओर पहला कदम
साधक,
तुम्हारा मन एक उन्मत्त घोड़ा है, जो बार-बार इधर-उधर भागता रहता है। और बुद्धि वह सवार है, जिसे वह घोड़ा सही दिशा में ले जाना चाहिए। परन्तु जब बुद्धि कमजोर या भ्रमित हो, तो मन की गाड़ी अनियंत्रित हो जाती है। ऐसे में तुम्हें बुद्धि को प्रशिक्षित करना होगा ताकि वह मन के भावों और इच्छाओं को सही दिशा दे सके। चलो, इस रहस्य को भगवद गीता के शाश्वत ज्ञान से समझते हैं।