संकल्प की शक्ति: अपने वचन के प्रति सच्चे बने रहना
प्रिय शिष्य, जीवन में जब हम कोई वचन देते हैं या संकल्प लेते हैं, तो वह हमारे मन और आत्मा का प्रतिबिंब होता है। परन्तु, कभी-कभी मन की अस्थिरता, बाहरी परिस्थितियाँ और हमारी आंतरिक कमजोरी हमें उस वचन से भटकने पर मजबूर कर देती हैं। यह स्वाभाविक है। तुम अकेले नहीं हो। आइए, गीता के अमर संदेश से इस उलझन को सुलझाएं और अपने संकल्प के प्रति सच्चे रहने की कला सीखें।