selfless

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

कर्म का सार: स्वार्थ रहित कर्म से जीवन में उजियारा
साधक, जब हम कर्म की बात करते हैं, तो अक्सर मन में यह सवाल उठता है कि आखिर स्वार्थहीन कर्म क्यों इतना महत्वपूर्ण है? क्या हम अपने हित की चिंता किए बिना कर्म कर सकते हैं? यह उलझन स्वाभाविक है, क्योंकि हमारा मन फल की चाह में उलझा रहता है। लेकिन भगवद गीता हमें इस भ्रम से बाहर निकालती है और कर्म की एक गहरी, शाश्वत समझ देती है।

भक्ति का सच्चा स्वरूप: बिना अपेक्षाओं के प्रेम की ओर
साधक,
जब हम भक्ति की बात करते हैं, तो अक्सर हमारे मन में एक उम्मीद जुड़ी होती है — कि ईश्वर हमें कुछ देंगे, हमारी मनोकामनाएँ पूरी करेंगे। परंतु सच्ची भक्ति वह है जो बिना किसी अपेक्षा के, केवल प्रेम और समर्पण से उत्पन्न होती है। आज हम इस पवित्र यात्रा को समझेंगे, जहाँ भक्ति का अर्थ है पूर्ण स्वीकृति और निःस्वार्थ प्रेम।