आंतरिक पवित्रता की ओर पहला कदम: अनुष्ठान का सार समझें
साधक, जब हम अनुष्ठान और आंतरिक पवित्रता की बात करते हैं, तो यह केवल बाहरी कर्मकांड या दिखावे तक सीमित नहीं होता। यह उस गहरे संबंध का मार्ग है जो तुम्हें अपने भीतर की शुद्धता और स्थिरता से जोड़ता है। भगवद गीता में इस विषय पर जो ज्ञान दिया गया है, वह तुम्हारे जीवन को नई दिशा और स्थिरता प्रदान कर सकता है।