समय की लहरों में समर्पण: कृष्ण की योजना पर विश्वास का मार्ग
साधक,
जब जीवन की घड़ी की सुई अपने अनोखे ढंग से घूमती है, और हमें समझ नहीं आता कि कब, क्या और कैसे होगा, तब मन बेचैन हो उठता है। तुम्हारे भीतर जो सवाल उठ रहे हैं — "दिव्य समय को कैसे स्वीकार करूँ? कृष्ण की योजना पर विश्वास कैसे करूँ?" — वे बहुत ही मानवीय हैं। यह समझो कि तुम अकेले नहीं, हर भक्त इसी यात्रा में है। आइए, गीता के प्रकाश में इस उलझन को सुलझाएं।