चलो यहाँ से शुरू करें: निष्क्रियता या सही कर्म?
साधक, जीवन में कभी-कभी ऐसा लगता है कि कुछ न करना, कुछ गलत करने से बेहतर है। पर क्या निष्क्रिय रहना ही समाधान है? इस उलझन में तुम अकेले नहीं हो। आइए गीता के अमृत वचनों से इस प्रश्न का उत्तर खोजें।
कर्म से भागना: क्या खो देते हैं हम?
साधक, जब हम अपने कर्तव्यों से बचने लगते हैं, तो जीवन के प्रवाह में एक प्रकार की बाधा उत्पन्न होती है। यह एक ऐसा मोड़ होता है जहाँ मन उलझन और अनिश्चितता से घिर जाता है। चलिए, भगवद गीता की दिव्य दृष्टि से इस उलझन को समझते हैं और अपने कर्म पथ पर फिर से चलने का साहस पाते हैं।