कर्म और भाग्य: आपकी ज़िंदगी के दो साथी, पर अलग राहें
साधक, जीवन में हम अक्सर सुनते हैं—कर्म हमारा है, भाग्य लिखा हुआ है। पर क्या सच में कर्म और भाग्य एक ही हैं? क्या हम भाग्य के आगे नतमस्तक होकर कर्म से पीछे हट जाएं? आइए, गीता के दिव्य वचनों के साथ इस उलझन को सुलझाएं।