outcome

Mind Emotions & Self Mastery
Life Purpose, Work & Wisdom
Relationships & Connection
Devotion & Spritual Practice
Karma Cycles & Life Challenges

🌿 "परिणामों से मुक्त हो, मन को शांति दे"
साधक, जब हम अपने कर्मों के फल की चिंता में उलझ जाते हैं, तो मन अशांत होता है और जीवन का आनंद छिन जाता है। यह स्वाभाविक है कि हम चाहते हैं कि हमारे प्रयास सफल हों, लेकिन अगर हम फल के बंधन में फंस जाएं, तो यह हमें मानसिक पीड़ा देता है। जानो, तुम अकेले नहीं हो, हर मनुष्य इसी द्वंद्व से गुज़रता है। चलो, गीता के अमृत शब्दों से इस उलझन को सुलझाते हैं।

कर्म का सार: उद्देश्य है या परिणाम?
प्रिय मित्र, जीवन के इस जटिल प्रश्न पर आपका चिंतन बहुत ही गहन और सार्थक है। कर्म करना हम सभी के लिए अनिवार्य है, पर क्या केवल परिणाम ही महत्वपूर्ण है? या कर्म का उद्देश्य, हमारा भाव, हमारा मनोबल उससे भी बड़ा होता है? आइए, भगवद गीता के अमूल्य ज्ञान से इस उलझन का समाधान खोजें।