instability

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🌊 भावनाओं की लहरों में तुम अकेले नहीं हो
साधक, जब जीवन में अचानक भावनाओं की लहरें उठती हैं, तो ऐसा लगता है जैसे समंदर में तूफान आ गया हो। पर याद रखो, ये लहरें भी गुजर जाएंगी। तुम अकेले नहीं हो, और ये भी अस्थायी है। आइए, गीता की अमृत वाणी से इस अंधकार में प्रकाश खोजें।

मन की उथल-पुथल का रहस्य: गीता की आँखों से
साधक,
जब मन अशांत होता है, तो ऐसा लगता है जैसे समंदर में तूफान उठा हो। पर क्या तुम जानते हो कि गीता ने इस मानसिक अस्थिरता के स्रोत को कितनी सरलता से समझाया है? यह उलझन तुम्हारे भीतर के संघर्ष की गूँज है, और मैं यहाँ तुम्हें उस संघर्ष के कारण और समाधान से परिचित कराने आया हूँ। तुम अकेले नहीं हो, हर मानव मन की गहराई में यह लहरें उठती हैं। चलो, गीता के प्रकाश में इस रहस्य को समझते हैं।

🌸 भावनाओं के तूफान में भी शांति का दीप जलाना
साधक, जब मन भावनाओं के उथल-पुथल से घिरा होता है, तब लगता है जैसे मन एक समुद्र की तरह है, जिसमें लहरें उठती और गिरती रहती हैं। यह अस्थिरता तुम्हारे भीतर के संघर्ष को दर्शाती है। जान लो, तुम अकेले नहीं हो, हर जीव इसी भावनात्मक समुद्र से गुजरता है। गीता में इस स्थिति का न केवल समाधान है, बल्कि एक गहरा संदेश भी है जो तुम्हें स्थिरता और शांति की ओर ले जाएगा।